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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2698
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।

उत्तर -

शिक्षा तथा सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध एक-दूसरे से प्रगाढ़ रूप से जुड़े हुए हैं। सामाजिक परिवर्तन करने वाले प्रमुख कारकों में शिक्षा भी एक है। सर्वप्रथम तो शिक्षा सामाजिक परिवर्तनों के लिए पृष्ठभूमि तैयार करती है तथा परिवर्तन हो जाने के बाद उनके अनुसार, स्वयं को अनुकूल बनाती है। इस प्रकार शिक्षा तथा सामाजिक परिवर्तनों के आपसी सम्बन्ध को निम्न प्रकार से समझा जाता है

(1) सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा आवश्यक - सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा का होना अति आवश्यक है। कोई भी सामाजिक परिवर्तन बिना शिक्षा के नहीं लाया जा सकता है। हमारे देश में पुराने समय से ही अनेक प्रकार की परम्पराएँ, रीति-रिवाज, रूढ़ियाँ चली आ रही हैं किन्तु ग्रामीण समाज में अशिक्षा का प्रसार इतना अधिक है कि इन पुराने रीति-रिवाजों, परम्पराओं, रूढ़ियों मान्यताओं को परिवर्तन करने का कोई भी प्रयास सार्थक नहीं हो पाता है। इन रूढ़ियों के कारण ही अनेक प्रकार के अन्धविश्वास, आडम्बर, कर्मकाण्ड हमारे देश की अधिकांश जनता में छाए हुए हैं। जब तक इनको परिवर्तित नहीं किया जायेगा तब तक समाज में परिवर्तन नहीं हो सकता है तथा ये परिवर्तन शिक्षा ही ला सकती है।

(2) शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन का अभिकर्ता - सामाजिक परिवर्तन लाने वाले कारकों में शिक्षा भी एक प्रमुख कारक है। शिक्षा के माध्यम से अनुभवों को पुनः संरचित किया जाता है तथा इस प्रकार से ही लोगों के व्यवहार में, रुचियों में परिवर्तन आता है। इन परिवर्तनों से सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन आता है जो सामाजिक परिवर्तन कहलाता है। इस प्रकार शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख कारक है।

(3) शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन की अनुगामी है - निष्पक्ष भाव से देखा जाए तो एक स्वस्थ तथा दोषमुक्त शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकती है लेकिन यदि वर्तमान समय की शिक्षा 'का अवलोकन करें तो पायेंगे कि आज शिक्षा में अनेक प्रकार के दोष आ गये हैं। समाज को परिवर्तन देने वाली शिक्षा आज स्वयं परिवर्तित होकर रह गई है तथा शासन शिक्षा को अपने अनुसार चलाता है तथा परिवर्तित करता है। इस प्रकार शिक्षा सामाजिक परिवर्तनों की अनुगामी बन गयी है तथा वह समाज मे परिवर्तन न करके, होने वाले परिवर्तन का अनुगमन करती है।

(4) सामाजिक परिवर्तन का शिक्षा व अन्य माध्यमों पर पड़ने वाला प्रभाव - वर्तमान समय में समाज में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं। यदि हम स्वयं भी आज से 15 वर्ष पूर्व के समाज को याद करें तो आज के समाज की मान्यताओं तथा विश्वासों में जमीन आसमान का अन्तर दिखाई देगा। शिक्षा के क्षेत्र में अनेक परिवर्तन हुए हैं। कम्प्यूटर, प्रबन्ध व अन्य तकनीकी शिक्षा व चिकित्सा के अनेक कॉलिज खुल गए हैं। अनेक नये विषय विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए उपलब्ध हैं। पुराने समय में समाज में परिवर्तन इतनी लम्बी अवधि में होते थे कि शिक्षा पर पड़ने वाला उनका प्रभाव नगण्य होता था परन्तु आज के द्रुतगामी समाज में परिवर्तन इतनी शीघ्रता से होते हैं कि शिक्षा इन परिवर्तनों से प्रभावित होती है।

(5) शिक्षा पर विज्ञान तथा तकनीक का प्रभाव - वर्तमान समय में शिक्षा का आधार विज्ञान तथा टेकनीक है। आज के समाज में परिवर्तन का प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ा है तथा इसी कारण शिक्षा भी इसी परिवर्तन से प्रभावित हुई है। आज सम्पूर्ण समाज विज्ञान व तकनीक के ऊपर आश्रित है। समाज में कम्प्यूटर, ई-मेल, नेट सर्फिंग आदि से शिक्षा का स्तर तथा उसकी सभी विषयों की उपलब्धता तथा महानता बढ़ी है। आज अनेक तकनीक शिक्षण संस्थान जिस प्रकार से सभी शहरों, कस्बों में उपलब्ध हैं वह समाज की जागरूकता तथा तकनीक से परिचित होने के कारण ही सम्भव हुआ है। कुछ समय पहले तक आई० टी० आई०, पोलीटेक्नीक ही तकनीकी शिक्षा के अध्ययन केन्द्र थे तथा उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षा के द्वारा आई० आई० टी० व प्रादेशिक कॉलेज थे जिनमें प्रवेश लेने से बहुत-से विद्यार्थी वंचित रह जाते थे। परन्तु आज प्रत्येक शहर में अनेक इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, प्रशिक्षण संस्थान आदि खुल रहे हैं, उसमें इंजीनियरिंग व चिकित्सा के क्षेत्र में शीघ्र ही भारत विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में सम्मिलित हो जायेगा। इस प्रकार का परिवर्तन समाज पर विज्ञान व तकनीक के प्रभाव द्योतक ही है। समाज पर विज्ञान व तकनीक का प्रभाव पड़ने पर उसके अंगों पर भी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।

(6) सामाजिक परिवर्तन के प्रभाव के रूप में शिक्षा - जिस गति से समाज में परिवर्तन हो रहे हैं उसी गति से यदि शिक्षा में भी परिवर्तन होते हैं तो उचित हैं, अन्यथा समाज में सांस्कृतिक विलम्बना की स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है। इस स्थिति को शिक्षा के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। शिक्षा को एक गत्यात्मक नीति अपनाने की आवश्यकता होती है। इसका प्रमुख कारण यह है कि

अत: समाज में होने वाले परिवर्तन शिक्षा को भी प्रभावित करते हैं तथा इन परिवर्तनों को ग्रहण करने में यदि शिक्षा असमर्थ हो जाती है तो सामाजिक परिवर्तन नहीं लाये जा सकते हैं। इस प्रकार सामाजिक परिवर्तनों के प्रभाव से शिक्षा की संरचना में भी मूलभूत परिवर्तन होते हैं।

(7) समान स्कूल प्रणाली - समाज में होने वाले परिवर्तनों का प्रभाव स्कूलों के शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ा है | समाज अब वर्ग-भेद व स्तरों को भुलाकर एक समान स्तर वाला समाज बनने की ओर अग्रसर है। इसलिए अब अनेक पब्लिक स्कूलों में भी अपनी स्तर व सोच में परिवर्तन कर दिया है तथा अब स्कूल भी किसी वर्ग विशेष के न होकर प्रत्येक प्रतिभाशाली बालक चाहें, वह किसी भी वर्ग से हों उसे प्रवेश देते हैं। इस प्रकार जैसे-जैसे समाज में वर्ग-भेद समाप्त होता जा रहा है तथा केवल आर्थिक स्थिति ही महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में उभर कर सामने आ रही है, समान स्कूल प्रणाली जोर पकड़ती जा रही है।

(8) स्त्री शिक्षा का विकास - प्राचीन समय में नारी को हेय दृष्टि से देखा जाता था। नारी की स्थिति अच्छी नहीं थी तथा उसका एक प्रमुख कारण नारी को शिक्षा से वंचित रखना था। जैसे-जैसे समाज में शिक्षा का महत्त्व बढ़ा वैसे ही नारी के लिए भी उचित शिक्षा की आवाज उठने लगी। स्त्री शिक्षा . को महत्त्वपूर्ण मानकर सरकार ने इस सम्बन्ध में अनेक विद्यालयों की स्थापना की तथा स्त्री शिक्षा का विकास किया। इस प्रकार समाज में होने वाले परिवर्तनों से स्त्री शिक्षा का विकास हुआ है।

(9) पिछड़े वर्ग का विकास - समानता पर आधारित समाज की स्थापना के प्रयास होने से अनेक जातियाँ जो आर्थिक तथा सामाजिक रूप से सदियों से पिछड़ी हुई थीं उन्हें समानता पाने का अवसर मिला तथा आरक्षण के फलस्वरूप इनकी सामाजिक स्थिति में भी परिवर्तन हुआ। इन्हें शिक्षा के क्षेत्र में, नौकरियों में आरक्षण मिला जिससे उनकी सामाजिक स्थिति बदली। अनेक शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान होने से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थी के लिए शिक्षा के अवसरों में वृद्धि हुई। इस प्रकार से समाज में शिक्षा का स्वरूप परिवर्तित हुआ तथा समाज में परिवर्तन की लहर आ गई।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
  3. प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
  4. प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
  5. प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए पाठ्यक्रम में किस प्रकार के बदलाव किये जाने चाहिये?
  9. प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति ने शिक्षा में कौन-सी नयी विचारधाराओं को उत्पन्न किया?
  10. प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- शान्तिपूर्ण एवं सामूहिक रहने के लिये विभिन्नता में एकता स्थापित करने में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को भी स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित करने वाले कारक कौन-से हैं? धर्मनिरपेक्षता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
  16. प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
  18. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
  19. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
  20. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
  21. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
  24. प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
  26. प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  27. प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
  28. प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  31. प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
  36. प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
  37. प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
  38. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
  39. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  40. प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
  42. प्रश्न- सांस्कृतिक विकास की कुछ समस्याएँ बताइये।
  43. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
  44. प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
  47. प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
  49. प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  50. प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
  51. प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  52. प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं का उल्लेख कीजिये।
  54. प्रश्न- भारतीय संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रावधान क्या-क्या हैं?
  55. प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान में लिखित नीति-निदेशक तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
  56. प्रश्न- समानता, बन्धुता, न्याय व स्वतंत्रता की संवैधानिक वादे के संदर्भ में शिक्षा के लक्ष्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थीं?
  58. प्रश्न- प्रस्तावना से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  62. प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  63. प्रश्न- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45 का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- प्रजातन्त्र का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रजातन्त्र के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
  65. प्रश्न- प्रजातन्त्र के प्रमुख गुण व दोषों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- लोकतंत्र का क्या अर्थ है? भारतीय लोकतंत्र के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतीय लोकतन्त्र के मूल सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- लोकतंत्रीय समाज में शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए? उनमें से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
  71. प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
  72. प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
  73. प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
  76. प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
  78. प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
  79. प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
  80. प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
  81. प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
  82. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
  83. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
  84. प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
  85. प्रश्न- अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को बताइये तथा इनके समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  86. प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
  87. प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
  88. प्रश्न- ईसाई धर्म ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? उचित उदाहरणों की सहायता से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- शिक्षा में सार्वभौमीकरण से क्या तात्पर्य है? शिक्षा में सार्वभौमीकरण की कितनी अवस्थायें एवं वर्तमान में इनकी आवश्यकता एवं महत्व के कारण बताइये।
  90. प्रश्न- शिक्षा की सार्वभौमीकरण की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- सार्वभौम एवं समावेशी शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में शिक्षक की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
  94. प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
  95. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना कीजिए?
  96. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
  97. प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
  99. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
  100. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये।
  103. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय समझ की बाधाओं का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण स्क्रेच स्रोत क्या हैं? इन्हें दूर करने हेतु व्यावसायिक सुझाव दीजिए।
  105. प्रश्न- शारीरिक चुनौतीपूर्ण बच्चों को विद्यालय पर समान शैक्षिक अवसर कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
  106. प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
  107. प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
  108. प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
  109. प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
  110. प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  111. प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
  113. प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
  114. प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
  115. प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
  116. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
  117. प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास कर सकती है?
  118. प्रश्न- विद्यालय को समाज से जोड़ने में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  119. प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
  120. प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
  121. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
  122. प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
  123. प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
  125. प्रश्न- स्त्री साक्षरता कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
  126. प्रश्न- मध्याह्न भोजन योजना का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
  128. प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
  129. प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
  130. प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
  131. प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
  132. प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
  133. प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
  135. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )

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